अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
अजामील अपराधी तारे,
तारे नीच सदान ।
जल डूबत गजराज उबारे,
गणिका चढी बिमान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
और अधम तारे बहुतेरे,
भाखत संत सुजान ।
कुबजा नीच भीलणी तारी,
जागे सकल जहान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
कहँ लग कहूँ गिणत नहिं आवै,
थकि रहे बेद पुरान ।
मीरा दासी शरण तिहारी,
सुनिये दोनों कान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
अब मैं शरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
BhajanShri Krishna BhajanBrij BhajanBaal Krishna BhajanBhagwat BhajanJanmashtami BhajanLaddu Gopal BhajanMeera BhajanMeera Bai BhajanTripti Shakya Bhajan
अब मैं सरण तिहारी जी - राधा सोआमी सत्संग
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