सिर घुमदियाँ बावरियाँ नाथ मेरा जदों मौज वीच खेले
जटां शूकदियाँ नेहरी वांगु नाग दे वांगु मेले
सिर घुमदियों बावरियाँ
शिव भोले दी मस्ती चड़ गई की की कौतक करदा
दूध पूत दियाँ दाता देके खाली झोलियाँ भरदा
जो वी आके चरनी झुकदा हुंदे जन्म सुहेले
सिर घुमदियाँ बावरिया
निक्की उमर दा बालक सोणा बड़ा ही प्यारा लगे
हनेरी वांगु मंत्र पड़दा बैठ धुने दे अगगे
अंग भभूति लाई बाबे ने मौज करे हर वेले
सिर घुमदियाँ बावरियाँ....
जद जोगी दियाँ जटां शूकदियाँ जांदइयाँ थम हवावा
वीरका दे बलिहारा नाथ नु मैं वी सीश झुकावां
प्रतीक जिथे वी खेलदा जोगी लग जानदे ने मेले
सिर घुमदियाँ.........
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