दे दर्शन, दे दर्शन इक वार, भोलिया दे दर्शन।
भगत बुलाउंदे छेती आजा, हो के बैल सवार
भोलिया दे दर्शन...
जग कहिंदा तू भोला भाला,
गल पावे सप्पां दी माला।
जट जटावां सर ते तेरे,
एह की तेरा रूप निराला।
रूप तेरे नूं चेते करके,
करां मैं सोच विचार, भोलिया दे दर्शन...
सुणियां भंग दे रगड़े लावें,
अक्क धतूरा खाई जावें।
समझ ना आवे शिव शंकर जी,
ऐना केह नूं खिलाईं जावें।
फेर वी सुणियां सभ्नां दे तूं,
लाउंदा बेड़े पार भोलिया दे दर्शन...
मेरा काहनूं मन तरसावें,
करां उडीकां कद घर आवें॥
चांद वी तेरा दास कहावें,
जिसनूं मस्तक उत्ते सजावें।
लखविंदर वी अर्जा करदा,
पढ़िया प्यारां नाल भोलिया दे दर्शन...
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