नमामि श्री गणराज दयाल,
करत हो भक्तन का प्रतिपाल,
नमामि श्री गणराज दयाल।
निशिदिन ध्यान धरे जो प्राणी,
हरे सकल भव जाल,
जन्म-मरन से होत निराला,
नहीं लगती कर माल,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
लंबोदर गज-वदन मनोहर,
गले फूलों की माल,
ऋद्धि-सिद्धि चमाल धूलावें,
शोभत से दूर हार,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
मूषक वाहन त्रिशूल परेशुधार,
चंदन झलक विशाल,
ब्रह्मादिक सब ध्यावत तुम को,
अर्जी तुकरया बाल,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
नमामि श्री गणराज दयाल,
करत हो भक्तन का प्रतिपाल,
नमामि श्री गणराज दयाल।
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