तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
माँ के मंदिर पे कंचन कलश धरे,
वहां चन्दन के जड़े है किवाड़ भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
तोरे अँगना में नोवत बाज रही,
शंख झालर बजे खड़ताल भवानी,
मोर नचत है बागों में॥
बैठी अटल सिंघासन जगदम्बे,
ओढे चुनरी माँ गोटेदार भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
माँ के मस्तक पे बिंदिया दमक रही,
गले मोतियन की माला डार भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
कान कुंडल में हीरा चमक रहे,
सोहे सोने के कंगन हाथ भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
पांव पैजनिया छम छम बाज रही,
बहे चरणों से अमृत की धार भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
ध्यान पूजन ‘पदम्’ न जानत है,
करूँ कैसे तुम्हारो सिंगार भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,
मोर नचत है बागों में ॥
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