पितृ पक्ष - Pitru Paksha

वन में चले रघुराई: भजन (Van Me Chale Raghurai )


वन में चले रघुराई: भजन
वन में चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥
आगे आगे राम चले है,
पीछे लक्ष्मण भाई,
जिनके बिच में चले जानकी,
शोभा बरनी न जाई,
वन को चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥

राम बिना मेरी सुनी रे अयोध्या,
लक्ष्मण बिन चतुराई,
सीता बिना सुनी रे रसोई,
कौन करे ठकुराई,
वन को चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥

सावन बरसे भादव गरजे,
पवन चले पुरवाई,
कौन बिरख निचे भीजत होंगे,
राम लखन दो भाई,
वन को चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥

रावण मार राम घर आये,
घर घर बंटती बधाई,
माता कौशल्या करत आरती,
शोभा बरनी न जाई,
वन को चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥

वन में चले रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
राजा जनक की जाई ॥

Van Me Chale Raghurai in English

Van Mein Chale Raghurai, Sang Unke Sita Mai, Raja Janak Ki Jai, Raja Janak Ki Jai ॥
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