Shri Krishna Bhajan

ज्ञानपिपासु विद्यार्थियों - प्रेरक प्रसंग (Gyan Pipasu Vidhyarthi)


Add To Favorites Change Font Size
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा फिसड्डी। पहले शिष्य की हर जगह प्रसंशा और सम्मान होता था। जबकि दूसरे शिष्य की लोग उपेक्षा करते थे।
एक दिन रोष में दूसरा शिष्य गुरू जी के जाकर बोला- गुरूजी! मैं उससे पहले से आपके पास विद्याध्ययन कर रहा हूँ। फिर भी आपने उसे मुझसे अधिक शिक्षा दी?

गुरुजी थोड़ी देर मौन रहने के बाद बोले- पहले तुम एक कहानी सुनो। एक यात्री कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे प्यास लगी। थोड़ी दूर पर उसे एक कुआं मिला। कुएं पर बाल्टी तो थी लेकिन रस्सी नहीं थी। इसलिए वह आगे बढ़ गया।

थोड़ी देर बाद एक दूसरा यात्री उस कुएँ के पास आया। कुएँ पर रस्सी न देखकर उसने इधर-उधर देखा। पास में ही बड़ी-बड़ी घास उगी थी। उसने घास उखाड़कर रस्सी बटना प्रारम्भ किया।

थोड़ी देर में एक लंबी रस्सी तैयार हो गयी। जिसकी सहायता से उसने कुएँ से पानी निकाला और अपनी प्यास बुझा ली।

गुरु जी ने उस शिष्य से पूछा- अब तुम मुझे यह बताओ कि प्यास किस यात्री को ज्यादा लगी थी?
शिष्य ने तुरंत उत्तर दिया कि दूसरे यात्री को।

गुरूजी फिर बोले- प्यास दूसरे यात्री को ज्यादा लगी थी। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि उसने प्यास बुझाने के लिए परिश्रम किया। उसी प्रकार तुम्हारे सहपाठी में ज्ञान की प्यास है। जिसे बुझाने लिए वह कठिन परिश्रम करता है। जबकि तुम ऐसा नहीं करते।

इस प्रकार शिष्य को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था। अब से वह भी कठिन परिश्रम में जुट गया।
यह भी जानें

Prerak-kahani Vidhyarthi Prerak-kahaniTatvya Gyan Prerak-kahaniStudent Prerak-kahaniKnowledgeable Students Prerak-kahaniTeacher Prerak-kahaniGuru Prerak-kahaniSaraswati Shishu Mandir Prerak-kahaniVasant Panchami Prerak-kahaniBasant Panchami Prerak-kahaniSaraswati Puja Prerak-kahaniSaraswati Jayanti Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

समर्पित भक्त का वास वैकुन्ठ में - प्रेरक कहानी

एक ब्राह्मण था तथा महान भक्त था, वह मंदिर की पूजा में बहुत शानदार सेवा पेश करना चाहता था, लेकिन उसके पास धन नहीं था।...

तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं!

एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा: मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।

हमे हर जीव मैं प्रभु नजर आते हैं - प्रेरक कहानी

जब बच्चे ने ईश्वर के साथ रोटी खाई! एक 6 साल का छोटा सा बच्चा, उसे भगवान् के बारे में कुछ भी पता नही था..

आप कर्मयोगी पुरुष, और मैनेजर भगवान

बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।.

अहंकार का त्याग ही तपस्या का मूलमंत्र है - प्रेरक कहानी

निर्णय करने से पहले धर्मराज ने दोनों से कहा: मैं अपना निर्णय तो सुनाउंगा लेकिन यदि तुम दोनों अपने बारे में कुछ कहना चाहते हो तो मैं अवसर देता हूं, कह सकते हो।...

आत्मविश्वास ना खोएं, ऊँचाइयाँ पाओगे - प्रेरक कहानी

एक बार एक युवक को संघर्ष करते-करते कई वर्ष हो गए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।...

Shri Krishna Bhajan - Shri Krishna Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP