मां दी महिंदी दा रंग गूढ़ा लाल
महिंदी सोहणे बागां दी
महिंदी रंगली दी रंगत कमाल
महिंदी सोहणे बागां दी
मां दी महिंदी दा रंग गूढ़ा लाल
जिन्ने बाग विच मां दी महिंदी बोए ए
महिंदी सुखणा दी सोख के भिगोए ए
महिंदी वांग लाल हो गया ओह लाल
महिंदी सोहणे बागां दी
मां दी महिंदी दा रंग गूढ़ा लाल
जिन्नी पीस पीस पत्तियां नूं रचिया
सूहा रंग गूढ़ा दाती नूं जचिया
ओह वी तक-तक हो गया निहाल
महिंदी सोहणे बागां दी
मां दी महिंदी दा रंग गूढ़ा लाल
मां ने महिंदी च सुगंध ऐसी पाई ए
खुद खुशबू महक लैण आई ए
हथीं ला के दाती हो गई दयाल
महिंदी सोहणे बागां दी
मां दी महिंदी दा रंग गूढ़ा लाल
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