प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।
जग-जीवन राम मुरारी॥
गली-गली को जल बहि आयो,
सुरसरि जाय समायो।
संगति के परताप महातम,
नाम गंगोदक पायो॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥
स्वाति बूँद बरसे फनि ऊपर,
सोई विष होइ जाई।
ओही बूँद कै मोती निपजै,
संगति की अधिकाई॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥
तुम चंदन हम रेंड बापुरे,
निकट तुम्हारे आसा।
संगति के परताप महातम,
आवै बास सुबासा॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥
जाति भी ओछी, करम भी ओछा,
ओछा कसब हमारा।
नीचे से प्रभु ऊँच कियो है,
कहि 'रैदास चमारा॥
प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।
जग-जीवन राम मुरारी॥
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