राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन,
फिर भी दीप जलाये रही है ।
कृष्ण को गोकुल से राधे को...
कृष्ण को गोकुल से राधे को,
बरसाने से बुलाय रही है ।
दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।
दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।
भोर भये ते सांज ढ़ले तक,
सेवा कौन इतनेम म्हारो ।
स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो,
भोग लगाए वो लागत प्यारो ।
कबते निहारत आपकी ओर...
कबते निहारत आपकी ओर,
की आप हमारी और निहारो ।
राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।
राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।
BhajanKrishna BhajanRadha Rani BhajanRadha Krishn BhajanJanmashtami BhajanBrij Bhajan
* यदि आपको इस पेज में सुधार की जरूरत महसूस हो रही है, तो कृपया अपने विचारों को हमें शेयर जरूर करें: यहाँ शेयर करें।
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर शेयर करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ शेयर करें।