सच्चे मन से माँ की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
ये ही है दुर्गा ये ही माँ काली,
चाहे किसी भी रूप में मनाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ।
सच्चे मन से मां की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
धन यश सुख सब देने वाली,
माँ से भंडार तुम भरवाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ।
सच्चे मन से मां की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
तन मन करदो माँ को समर्पण,
शेर चरणों में शीश तुम नवाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ।
सच्चे मन से मां की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
जगदाति की कर लो पूजा,
बस दाती के ही हो जाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ।
सच्चे मन से मां की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
सच्चे मन से माँ की,
ज्योत तुम जगाओ,
बिन मांगे सारे फल पाओ ॥
दुर्गा चालीसा |
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