बजरंग बाणनिश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
 माँ अंजनी के लाल, कलयुग कर दियो निहाल: भजनमाँ अंजनी के लाल, कलयुग कर दियो निहाल, ओ पवनपुत्र हनुमान, तुम श्रीराम के सेवक हो, श्री राम के सेवक हो,
शिव शंकर के अवतार, मेरे बालाजी सरकार, ओ पवनपुत्र हनुमान, तुम श्रीराम के सेवक हो ॥
  मोहे रंग दो अपने ही रंग में, मोहे ओ सांवरिया: भजननैना लागे जब मोहन से, नैना को कुछ रास ना आए, जान बसे अब वृंदावन में, साँसे भी तेरा गुण गाए, ना मैं सीता ना शबरी हूँ,
ना ही राधा ना मीरा, प्रेम में तोहरे मन लागे, तोहरे बिन जीवन आधा, मोहे रंग दो, मोहे रंग दो अपने ही रंग में, मोहे ओ सांवरिया,
मैं हुई तेरी दीवानी, बनके बावरिया ॥