जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब तुझको आवाज देगी,
घर से बाहर निकलना पड़ेगा ॥
मौत का बजा जिस दिन डंका
फूँक दी तब पल में सोने की लंका
कर गयी मौत रावण का बांका
वैसे तुझको भी जलना पड़ेगा ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा ॥
रात के बाद होगा सवेरा
देखना हो अगर दिन सुनहरा
पाँव फूलों पे रखने से पहले
तुझको काँटों पे चलना पड़ेगा ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा ॥
ये जवानी है दो दिन का सपना,
ढूँढ ले तू जल्द राम अपना
ये जवानी अगर ढल गयी तो,
उमर भर हाथ मलना पड़ेगा ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा ॥
ये तसवुर ये जोशो-जवानी
चंद लम्हों की है यह कहानी
ये दिया शाम तक देख लेना
चढ़ते सूरज को ढलना पड़ेगा ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब तुझको आवाज देगी,
घर से बाहर निकलना पड़ेगा ॥
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गायिक: पूज्य प्रेमभूषणजी महाराज
गायिका: डिम्पल भूमि | तबला: रामध्यान गुप्ता
गायिका: सरोजिनी घोष
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