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जो विधि कर्म में लिखे विधाता - भजन (Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata)


जो विधि कर्म में लिखे विधाता - भजन
जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥
वक्त पड़ा राजा हरीशचंद्र पे,
काशी जो बिके भाई,
रोहित दास को डसियो सर्प ने,
रोती थी उसकी माई ll
उसी समय रोहित को देखो,
बचाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

वक्त पड़ा देखो रामचंद्र पे,
वन को गए दोनों भाई,
राम गए और लखन गए थे,
साथ गई सीता माई ll
वन में हरण हुआ सीता का,
बचाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

वक्त पड़ा अंधी अंधों पे,
वन में सरवण मरन हुआ,
सुन करके सुत का मरना फिर,
उन दोनों का मरन हुआ ll
उसी श्राप से दशरथ मर गए,
जलाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,
वक्त पड़े पर गजभर कपड़ा,
देने वाला कोई नहीं ॥

Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata in English

Jo Vidhi Karm Mein Likhe Vidhata, Mitane Wala Koi Nahin, Waqt Pade Par Gajbhar Kapda
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